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लेखनी कहानी -09-Apr-2023

इजहार ए इश्क,


मुझे इजहार ए इश्क,करना नही आया
मतलबी जमाने के जैसे बदलना नही आया।
न वो समझे मुझे,न मैने कुछ कहा उनसे,
शायद जमाने की तरह प्यार करना नही आया।।

उसके नैनो से ही हो जाती थी बातें अक्सर,
लफ्जों का  जाल मुझको,कभी बुनना नही आया।
उसके आने से मेरे, दिल में उमंग उठती थी,
हाल ए दिल उससे मगर, बयां करना नही आया।।

दोस्ती और प्यार के बीच में, झूलती रही मेरी चाहत,
न मुझे समझाना आया, न उसे समझना आया ।
उसकी  मुस्कान देखने को,दिल मेरा बेताब रहता,
उसे दिल में तो रखा,बस पर कभी कहना नही आया ।।




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3 Comments

बहुत खूब

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सुन्दर सृजन

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Reena yadav

10-Apr-2023 01:32 AM

👍👍

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